उदास आँखों का ख़्वाब
बारहा सन्नाटों की आवाज़
ग़ज़ल बन जाती है...!!!
Tuesday, May 6, 2008
शबनम
अश्कों
1
से तर था बिस्तर,
देखा- आँखें पुरनम
2
थी.
रात भर रोते रहे थे शायद,
हाँ सचमुच, वो शब
3
नम थी.
बिस्तर की सिलवटों ने बताया,
करवटों में हुई रात ख़त्म थी.
अश्कों में झलकी जो एक तस्वीर,
ख़याल आया- वो 'शबनम
4
' थी.
1. आँसुओं 2. भिंगा हुआ 3. रात 4. ओस
1 comment:
PD
said...
ये शबनम कौन है मेरे भाई?? :)
May 13, 2008 at 5:30 PM
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1 comment:
ये शबनम कौन है मेरे भाई?? :)
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