Wednesday, May 21, 2008

वो आँखें

वो आँखें-
सपनीली सी,
जिनमें
रक्स1 करती थीं
ख़्वाबों की कुछ
परछाईयाँ-
नीली सी.
वो आँखें-
कुछ गीली-सी,
कुछ सपनीली-सी.


वो आँखें-
कि पंछी ने उड़ने को
अभी-अभी खोली हों जैसे-
नर्म-सी पाँखें;
वो आँखें-
जिनमें दूर तक उतरकर
जी करता था-
झाँकें;
वो आँखें...


वो आँखें-
जो मासूम-सी हँसी
बिखराती थीं,
किसी की राह में
बिछ जाने का
ख़्वाब सजाती थीं;
हँसती थीं- मुस्कराती थीं,
सजती-संवरती और इठलाती थीं,
वो आँखें-
जो नूर2 छलकाती थीं;
जाने किन अंधेरों में
खो गईं-
वो आँखें,
दूर सबसे
हो गईं-
वो आँखें.


अभी उम्र ही क्या थी
उन आँखों की,
अलविदा कह गईं;
जाने कैसी थीं-
वो आँखें,
जो हर दर्द-
चुपचाप सह गईं.


उन आँखों के
हर ख़्वाब-
अधूरे रह गए,
वक़्त की दरिया3 में
न जाने-
किधर बह गए.


मासूम,
कँवल4 की कली-
वो आँखें;
क्यों रह गईं
अधखिली-
वो आँखें?


1. नृत्य 2. रोशनी, प्रकाश 3. नदी 4. कमल


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