छलकता हुआ पैमाना यहीं कहीं था
लोग आते थे सजदे को दूर-दूर से
सुना है - इक बुतखाना यहीं कहीं था
जिंदगी से ऊबकर आता था मैं जहाँ
वो मेरा ठिकाना यहीं कहीं था
कोई पूछे तो कहते थे लोग
हाँ, एक दीवाना यहीं कहीं था
अभी-अभी रोया था मैं, और
उसका शाना यहीं कहीं था
मेरे हमदम, मेरे गमगुसार का
शायद आशियाना यहीं कहीं था