Friday, June 19, 2009

टूट कर बिखरा, तारा था कोई...

टूट कर बिखरा, तारा था कोई
दिल भी मेरा बंजारा था कोई

सहरा-सहरा, दरिया-दरिया
भटका बहुत, आवारा था कोई

तमाम उम्र तन्हाईओं के तले रहा
कितना बेआसरा-बेसहारा था कोई

ज़िक्र भूले से मेरा जो आ गया
इतना कहा- 'बेचारा था कोई'

उनको हमसे कोई वास्ता ही नहीं
कैसे कहें कि हमारा था कोई

काश! हम भी उनको प्यारे होते
कि हमको भी प्यारा था कोई