दिल भी मेरा बंजारा था कोई
सहरा-सहरा, दरिया-दरिया
भटका बहुत, आवारा था कोई
तमाम उम्र तन्हाईओं के तले रहा
कितना बेआसरा-बेसहारा था कोई
ज़िक्र भूले से मेरा जो आ गया
इतना कहा- 'बेचारा था कोई'
उनको हमसे कोई वास्ता ही नहीं
कैसे कहें कि हमारा था कोई
काश! हम भी उनको प्यारे होते
कि हमको भी प्यारा था कोई