Friday, May 29, 2009

उदास सी तुम...

सुनो सुनयना, भरे-भरे से क्यों हैं तेरे नैना
ग़म क्या है तुझको, देखो- मुझे दे दो ना...

रूठी खुद से हो कि खफा हो जिंदगी से
छोड़ो भी ना, मिलता क्या है यहाँ बँदगी से
जो हुआ, हुआ - अब जाने दो ना...

आओ ना- तमन्ना की राह पर चलेंगे मिलके
खुली फ़िज़ा में साथ उड़ेंगे दो पंछी दिल के
आओ ना साथ मेरे, आसमाँ छू लो ना...

उठो, हँसो, खिलो, निखरो- फूल की तरह
क्यों बिखरती हो यूँ सहरा के धूल की तरह
आओ आज मुट्ठी में सारा आकाश भर लो ना...

टिमटिमाती लौ सी तुम, इक प्यास सी तुम
क्यों बैठी हो इस तरह उदास सी तुम
बिखेरो हँसी, चेहरे पर उजास कर लो ना...


5 comments:

Divine India said...

अच्छा प्रयास है… गम और प्रेम का संगम बढ़िया लगा…।

अजय कुमार झा said...

saral shabdon mein .....sundar rachnaa.....

दिगम्बर नासवा said...

प्रेम और उदासी.....दोनों ही हैं इस रचना में.लाजवाब लिखा है

Asha Joglekar said...

बहुत सुंदर रचना ।

Arvind Gaurav said...

आओ ना- तमन्ना की राह पर चलेंगे मिलके
खुली फ़िज़ा में साथ उड़ेंगे दो पंछी दिल के
आओ ना साथ मेरे, आसमाँ छू लो ना...

bahut achha likha hai aapne