ग़म क्या है तुझको, देखो- मुझे दे दो ना...
रूठी खुद से हो कि खफा हो जिंदगी से
छोड़ो भी ना, मिलता क्या है यहाँ बँदगी से
जो हुआ, हुआ - अब जाने दो ना...
आओ ना- तमन्ना की राह पर चलेंगे मिलके
खुली फ़िज़ा में साथ उड़ेंगे दो पंछी दिल के
आओ ना साथ मेरे, आसमाँ छू लो ना...
उठो, हँसो, खिलो, निखरो- फूल की तरह
क्यों बिखरती हो यूँ सहरा के धूल की तरह
आओ आज मुट्ठी में सारा आकाश भर लो ना...
टिमटिमाती लौ सी तुम, इक प्यास सी तुम
क्यों बैठी हो इस तरह उदास सी तुम
बिखेरो हँसी, चेहरे पर उजास कर लो ना...
5 comments:
अच्छा प्रयास है… गम और प्रेम का संगम बढ़िया लगा…।
saral shabdon mein .....sundar rachnaa.....
प्रेम और उदासी.....दोनों ही हैं इस रचना में.लाजवाब लिखा है
बहुत सुंदर रचना ।
आओ ना- तमन्ना की राह पर चलेंगे मिलके
खुली फ़िज़ा में साथ उड़ेंगे दो पंछी दिल के
आओ ना साथ मेरे, आसमाँ छू लो ना...
bahut achha likha hai aapne
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