Friday, September 19, 2008

बड़ी वफ़ा से...

बड़ी वफ़ा से निभा रहे थे तुम, थोड़ी-सी बेवफाई कर दी
क्या आलम था तेरे उन्स का, और तुम्हीं ने जगहंसाई कर दी

दश्ते-फ़िराक़ में छोड़ कर तन्हा, तुम न जाने कहाँ गुम हुए
वाह मेरे रहनुमा! क्या खूब तुमने मेरी रहनुमाई कर दी

मुजस्सिम हँसी बनकर आये थे मेरी जिंदगी में कभी, मगर
तुम गए तो इस तरह गए, आँखों को नज़्र रुलाई कर दी

ग़म ही शमाँ, ग़म ही रोशनी, ग़म ही परछाईं मेरी
अपने बदले तुमने ग़म से ही मेरी आशनाई कर दी


4 comments:

seema gupta said...

ग़म ही शमाँ, ग़म ही रोशनी, ग़म ही परछाईं मेरी
अपने बदले तुमने ग़म से ही मेरी आशनाई कर दी
" very beautifully written"

regards

MANVINDER BHIMBER said...

बड़ी वफ़ा से निभा रहे थे तुम, थोड़ी-सी बेवफाई कर दी
क्या आलम था तेरे उन्स का, और तुम्हीं ने जगहंसाई कर दी
bahut sunder

Udan Tashtari said...

मुजस्सिम हँसी बनकर आये थे मेरी जिंदगी में कभी, मगर
तुम गए तो इस तरह गए, आँखों को नज़्र रुलाई कर दी


--बहुत खूब!!

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा!!