Saturday, September 20, 2008

तुम आए...

तुम आए, दिलजोई हुई
मुस्कुरा पड़ी आँख रोई हुई

महक उठीं कलियाँ जज्बात की
शबनमे-अश्क़ से धोई हुई

मचल-मचल गईं आज
हसरतें दिल की सोई हुई

शमए-आरजू थी दिल में
बुझी-बुझी, खोई हुई

सोचते रहे ता-उम्रे-फ़िराक़
खता कब हमसे कोई हुई

रो-रोकर तुम्हारी याद में
अफ़साने हुए, गज़लगोई हुई


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