उदास आँखों का ख़्वाब
बारहा सन्नाटों की आवाज़
ग़ज़ल बन जाती है...!!!
Saturday, September 20, 2008
तुम आए...
तुम आए, दिलजोई हुई
मुस्कुरा पड़ी आँख रोई हुई
महक उठीं कलियाँ जज्बात की
शबनमे-अश्क़ से धोई हुई
मचल-मचल गईं आज
हसरतें दिल की सोई हुई
शमए-आरजू थी दिल में
बुझी-बुझी, खोई हुई
सोचते रहे ता-उम्रे-फ़िराक़
खता कब हमसे कोई हुई
रो-रोकर तुम्हारी याद में
अफ़साने हुए, गज़लगोई हुई
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