क्या आलम था तेरे उन्स का, और तुम्हीं ने जगहंसाई कर दी
दश्ते-फ़िराक़ में छोड़ कर तन्हा, तुम न जाने कहाँ गुम हुए
वाह मेरे रहनुमा! क्या खूब तुमने मेरी रहनुमाई कर दी
मुजस्सिम हँसी बनकर आये थे मेरी जिंदगी में कभी, मगर
तुम गए तो इस तरह गए, आँखों को नज़्र रुलाई कर दी
ग़म ही शमाँ, ग़म ही रोशनी, ग़म ही परछाईं मेरी
अपने बदले तुमने ग़म से ही मेरी आशनाई कर दी
4 comments:
ग़म ही शमाँ, ग़म ही रोशनी, ग़म ही परछाईं मेरी
अपने बदले तुमने ग़म से ही मेरी आशनाई कर दी
" very beautifully written"
regards
बड़ी वफ़ा से निभा रहे थे तुम, थोड़ी-सी बेवफाई कर दी
क्या आलम था तेरे उन्स का, और तुम्हीं ने जगहंसाई कर दी
bahut sunder
मुजस्सिम हँसी बनकर आये थे मेरी जिंदगी में कभी, मगर
तुम गए तो इस तरह गए, आँखों को नज़्र रुलाई कर दी
--बहुत खूब!!
बहुत उम्दा!!
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