तमन्ना ही रही दिल की-
कोई गीत तुम मेरे लिए भी गाते...
जब भी तुम आए
कोई और था साथ तुम्हारे-
तुम्हारी बातों में, तुम्हारी राहों में
तुम उसी के लिए थे हँसते,
उसी के लिए मुस्कराते...
तुम्हारा हर क़दम
उसी के जानिब उठते रहे
तुम मुझे मगर अपना हमसफ़र कहते रहे-
क्योंकि मैं साथ रहा
उसके घर तक आते-जाते...
मैं अपने आँसू
छुपा लेता था तुम्हें देखकर
मगर सच तो ये है कि-
एक उम्र कट गई,
बस यूँ ही रोते-रुलाते...
बस इतनी-सी बात
कह लूँ आज मैं तुमसे
क्यों तुमने कभी सोचा नहीं-
जिन आँखों में आँसू हों
उनमें क्या ख़्वाब नहीं जगमगाते...?
14 comments:
जिन आँखों में आँसू हों
उनमें क्या ख़्वाब नहीं जगमगाते...?
बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही भाई आपने.
bahut khub
मैं अपने आँसू
छुपा लेता था तुम्हें देखकर
मगर सच तो ये है कि-
एक उम्र कट गई,
बस यूँ ही रोते-रुलाते...
बेहतरीन रचना !
राम राम !
बहोत खूब क्षितिज आपने लिखा है बहोत ही सुंदर रचना ढेरो बधाई आपको....
अर्श
बहुत ही भाव-भीनी खुशबू लिए बहुत ही प्यारी ,और प्यारे पलों की याद समेटे हुए है आपकी कविता.....
बहुत ही भाव-भीनी खुशबू लिए बहुत ही प्यारी ,और प्यारे पलों की याद समेटे हुए है आपकी कविता.....
मैं अपने आँसू
छुपा लेता था तुम्हें देखकर
मगर सच तो ये है कि-
एक उम्र कट गई,
बस यूँ ही रोते-रुलाते...
सहज ही कही रचना अच्छी लगी
Too good kshiteesh..
nice one..
lage raho..!!!
bahut khoob.....bahut he accha aur dil ko chu jaane waala hai...aaj he prashant se tumhaare blog ka pata chala...phir aaya yahan per...aur ek ek kar ke tumhaari saare post phade....
bahut he kasis hai tumhaari baatoo main...issey accha apne ehsaas ko byan nahi kiya jaa skta....
Congrats...
मैं अपने आँसू
छुपा लेता था तुम्हें देखकर
मगर सच तो ये है कि-
एक उम्र कट गई,
बस यूँ ही रोते-रुलाते...
bahut hi badhiya
बस इतनी-सी बात
कह लूँ आज मैं तुमसे
क्यों तुमने कभी सोचा नहीं-
जिन आँखों में आँसू हों
उनमें क्या ख़्वाब नहीं जगमगाते...?
-वाह !वाह ! बहुत खूब लिखा है.
hamesha ki tarah ek achhi peshkash,,,,aanke koi bhi ho khwaab dekna to eski fitrat me hai
aapke agle post ka intzaar hai
और कितना इंतजार कराओगे भाई.. जल्दी से कुछ बढ़िया सा लिखो.. या फिर ऑफिस में काम-काज ज्यादे हो गया है?? :)
Post a Comment