'मधुप' जी... पहले तो प्रोत्साहन का शुक्रिया... और फ़िर एक बात कहना चाहूँगा- कि हिन्दी कविता तो कब की नियमों के बंधन से निकल चुकी है.. फ़िर ग़ज़ल से ही अब तक यह उम्मीद क्यों? मुक्त-छंद के पीछे दलील यह थी कि नियमों को ध्यान में रखते-रखते कहीं भावनाएं बंधित ना हो जाएं... और कई रिवाज़ बदलने भी तो चाहिए... उर्दू में भी नई चीजों का प्रचलन हो चुका है, और तो और wikipedia भी यही कहती है... "In modern Urdu poetry, there are a few ghazals which do not follow the restriction that the same beher(meter) must be used in both the lines of a sher. But even in these ghazals, qaafiyaa and, usually, radif are present."
आपकी बात ठीक हो सकती हैं।किंतु जहां अनुशासन हैं, वहां समाज है, जहां अनुशासन नही ,वहां जंगल हैं। शव्द विन्यास साहित्य है किंतु उसमे कथा एवं काव्य अलग विधांए हैं। हिंदी कविता में रबर छंद भी है ।गजल। एक अलग विधा है, उसका मीटर है।क्योंकि गजल गेय हैं उसे गाया जाता है, इसलिए मीटर होना मेरी राय में आवश्यक है! अगर हम तै कर चुके हैं कि उसे गाना नही है तो कैसे भी लिखा जा सकता हैं। वैसे साहित्य की समृद्धता एवं अमरता देने के लिए मीटर का प्रयोग मेरी राय में जरूरी हैं ।
8 comments:
अंगूठे से यूँ ज़मीं को कुरेदा ना करो
ज़ख्म दिल के हरे हो जाते हैं
भाई वाह...बेहतरीन शेर...कमाल है.
नीरज
waah bahut hi badhiya
अंगूठे से यूँ ज़मीं को कुरेदा ना करो
ज़ख्म दिल के हरे हो जाते हैं
-बहुत उम्दा जनाब!! वाह!!!
नीची निगाहों से दिल पे ना करो चोट
जज्बात मेरे और गहरे हो जाते हैं
bahot khub likha hai apne dhero badhai apako... jari rahe.........
आप अच्छा लिख रहे हैं, पर मेरा अनुरोध है कि गजल के शिल्प को समझे। उसके मीटर को जाने । देखे तब आैर मजा आएगा। बढिया लिखने के लिए बधाई।
'मधुप' जी... पहले तो प्रोत्साहन का शुक्रिया... और फ़िर एक बात कहना चाहूँगा- कि हिन्दी कविता तो कब की नियमों के बंधन से निकल चुकी है.. फ़िर ग़ज़ल से ही अब तक यह उम्मीद क्यों? मुक्त-छंद के पीछे दलील यह थी कि नियमों को ध्यान में रखते-रखते कहीं भावनाएं बंधित ना हो जाएं... और कई रिवाज़ बदलने भी तो चाहिए... उर्दू में भी नई चीजों का प्रचलन हो चुका है, और तो और wikipedia भी यही कहती है...
"In modern Urdu poetry, there are a few ghazals which do not follow the restriction that the same beher(meter) must be used in both the lines of a sher. But even in these ghazals, qaafiyaa and, usually, radif are present."
लाजवाब ! अति सुन्दर !
राम राम !
आपकी बात ठीक हो सकती हैं।किंतु जहां अनुशासन हैं, वहां समाज है, जहां अनुशासन नही ,वहां जंगल हैं। शव्द विन्यास साहित्य है किंतु उसमे कथा एवं काव्य अलग विधांए हैं।
हिंदी कविता में रबर छंद भी है ।गजल। एक अलग विधा है, उसका मीटर है।क्योंकि गजल गेय हैं उसे गाया जाता है, इसलिए मीटर होना मेरी राय में आवश्यक है! अगर हम तै कर चुके हैं कि उसे गाना नही है तो कैसे भी लिखा जा सकता हैं। वैसे साहित्य की समृद्धता एवं अमरता देने के लिए मीटर का प्रयोग मेरी राय में जरूरी हैं ।
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