तुम याद आए तो न जाने कितनी बातें याद आईं
पहरों-पहर पहलू में जब खामोश धड़कते थे दो दिल
चुपचाप-सी पहले-पहल की वो मुलाकातें याद आईं
बूँद-बूँद रूह को भिंगोने की ख़्वाहिश रखती हों जैसे
तेरे गुनगुनाते लबों से नज़्मों की वो बरसातें याद आईं
थोड़ा-सा दर्द, थोड़ी-सी तड़प और थोड़े-से आँसू
जाते-जाते जो तुम दे गए, आज वो सौगातें याद आईं
3 comments:
पहरों-पहर पहलू में जब खामोश धड़कते थे दो दिल
चुपचाप-सी पहले-पहल की वो मुलाकातें याद आईं
umda likha hai aapne wah dhero badhai aapko sahab.....
Bahut achche.
charon or dard hee dard hai. narayan narayan
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