मेरी तरफ बढ़े प्यार से, वो हाथ न मिला
मैंने तलाशा तो हसीं बुत कई मिल गए
मेरे दर्द को अपना कहे, वो जज्बात न मिला
हसरतों को हासिल नहीं कुछ अश्कों के सिवा
तमन्ना ढूँढकर हारी, हँसी का सुराग न मिला
दिल का आलम हो कि खिजाँ का मौसम
उड़ते परिंदों को सब्ज कोई शाख न मिला
2 comments:
मैंने तलाशा तो हसीं बुत कई मिल गए
मेरे दर्द को अपना कहे, वो जज्बात न मिला
बहुत खूब ...सच में आज कहाँ है दुनिया में दूसरों के दर्द को अपना बनाने वाले ..
बहुत उम्दा.
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