बहाने से छूकर तेरा हाथ, अपना ही दर्द सहलाता हूँ मैं
बस एक तुम होते हो साथ मेरे, तो तन्हाई साथ नहीं होती
यूँ भीड़ में खुद को कुछ ज्यादा ही तन्हा पाता हूँ मैं
तुम्हारे रंजो-ग़म पर कुछ तो आखिर हक हो मेरा
कि अपने दिल को तेरे दर्द का लिबास पहनाता हूँ मैं
दोस्त, अपने अह्सासे-दर्द से मुझे महरूम न कर
ये वही दर्द है जिससे अपना दिल बहलाता हूँ मैं
2 comments:
जब दिल उदास होता है तो कोई पास पास होता है . बहुत बढ़िया पोस्ट लगी .लिखते रहिये . धन्यवाद.
बढ़िया है प्रस्तुति.
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