सहेजता रहा
आँसू के हर एक क़तरे को
अपनी पलकों के
सीपियों में
जमा करता रहा उस पर
दर्द की परत दर परत
इस उम्मीद में कि इक रोज़
ये मेरे सारे आँसू
बन जायेंगे मोती
मगर आज,
जब अचानक मैंने
अपने दिल के खजाने को टटोला
ग़म के चंद हीरे
मेरे हाथ लग गए...
वो आँसू मेरा सरमाया था,
ये ग़म मेरा हासिल है !!!
No comments:
Post a Comment