Wednesday, September 21, 2011

हासिल

बरसों तलक मैं
सहेजता रहा
आँसू के हर एक क़तरे को
अपनी पलकों के
सीपियों में

जमा करता रहा उस पर
दर्द की परत दर परत
इस उम्मीद में कि इक रोज़
ये मेरे सारे आँसू
बन जायेंगे मोती

मगर आज,
जब अचानक मैंने
अपने दिल के खजाने को टटोला
ग़म के चंद हीरे
मेरे हाथ लग गए...

वो आँसू मेरा सरमाया था,
ये ग़म मेरा हासिल है !!!


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