उदास आँखों का ख़्वाब
बारहा सन्नाटों की आवाज़
ग़ज़ल बन जाती है...!!!
Saturday, September 20, 2008
वफ़ा मिली ना...
वफ़ा मिली ना प्यार मिला ज़िंदगी में
मिला भी तो क्या मिला ज़िंदगी में
न दोस्त, न हमदम, न हमनवा कोई
करें तो किससे करें गिला ज़िंदगी में
दर्द के फूल, दर्द की कलियाँ
दर्द का ही बाग़ खिला ज़िंदगी में
बहुत-बहुत तो मिला नहीं थोड़ा भी
थोड़ा-थोड़ा ही बहुत मिला ज़िंदगी में
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