महका हुआ कोई गुलाब है आँखों में
ज़र्रा-ज़र्रा नूर की बारिश है
एक क़तरा माहताब है आँखों में
प्यार के फलसफे, प्यार की बातें
प्यार की खुली किताब है आँखों में
रूह हो जैसे प्यास की एक शमाँ
प्यासी-प्यासी-सी आब है आँखों में
लम्हा-लम्हा मासूमियत है, खामुशी है
गो लरजाँ एक सैलाब है आँखों में
उठ के झुकना, झुक के फिर उठना
हर एक अदा लाज़वाब है आँखों में